साखी ------हे मोर मुकुट पीताम्बर सोहे
मुरली धरपे श्री राधा मोहे
गोप गोपियन को नाच नचावे
गेबी तान से सब को लुभाये
मनमोहन ब्रिज किसोर मुरारी
मधुसूदन तेरी लीला अति भारी (प्यारी)
देख देख "बेला" हर्षाई
चरन कमल पर गई बलिहारी !
बेला
१४-१०-१९९१
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