सखी ! मोहि राती नींद नाही आई
कान कुंवर बस्यो नैननमे ,
उसने हाय !चैन चुराई !
बार बार कमाल मुख दिखेई
बार नार बंसी सुनाई
मोरपिच्छ धारी,कटी पीताम्बर
विशाल नयन सुहाई -----सखी----
जशोदा नन्द अति पियारो
लकुटी लिये धेनु चराई
वृन्दावन में रास रामाड्यो
"बेला" अति सुख पाई.
सखी मोहि राती नींद नाही आई
बेला
९-१=१९९२ /७.३०.ए.एम्
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