कान्हा ने ऐसा रंग डाला,
के रंग गई मोरी चोली-चुनरिया .
सब गोपियाँ तो देखत रह गई,
में तो भई भाग्यशाली .
कर्म छूटे,मेरे पाप धुल गए,
कन्हैया ने जो मारा पिचकारा.
रंग गई "बेला"उसके रंग में
जबसे कानहा ने झुलाया .
बेला
५-३-२०१२ /२.३०.पि.एम्.
No comments:
Post a Comment