तुम्हें कितना पुकारा --श्याम सलोने !
क्यों नहीँ सुनते ,क्यों नहीं आते ?
अखियों से छुपे हो,दिल में समाये हो
आं ख मिचोली खेले वनमाली (खेले कन्हाई);
ढुंढत ढुंढत राधा हारी ,
क्यों नहीं मिलते --क्यों नहीं आते ?
दिन ,महीने,सालों बीत गये
मधुवन,कुंज सब उजड गये ;
सूखी "बेला" सूखे पत्ते
रट ते रहे तुम्हें ,श्याम मनहारी
क्यों नहीं सुनते ,क्यों नहीं आते ?
श्याम मोरे श्याम
श्याम श्याम श्याम राधे शेम (३)
मद्न मुरारी श्याम ,मोहन मुरारी श्याम
गिरिवर धारी श्याम ,रास बिहारी श्याम
श्याम (३)राधे श्याम (३)
बेला
५-४-२००९/२.००.पी.एम्
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