लाल, मेरे चलो तुम्हें नहेलाऊ
उबटन घसी घसी अंग निखारूँ
केसरी जल की कुण्डी भर के
माही सुगंध डलवाऊं
जल संग खूब खेले ,अब कान्हा
कैसे बाहर निकालू ?---लाल मेरे ...
आओ तुम्हें पीत-अम्बर पहनाऊँ
माथे केसरी पाघ बँधाऊँ
नजर लगे ना लाल को मेरे ,
काजल अखियन डालूँ--लाल मेरे...
बाजू बंध बेरखा बंधाउ ,
पग पायल छन्काऊ ;
माथे मोरपिच्छ आप ही डाल्यो,
देख देख मुस्काऊँ--लाल मरे ...
धेनू चराने जाओ गोपाल,
हाथ मुरली धराऊ
"बेला" सुनी सुनी होस गँवाये ;
बार बार सपन दोहराऊं |
बेला
२३-३-१९९२ /८.१५.ए.एम्
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