क्यों उठती है पीड़ा ?
क्यों चुभती है शूल ?
यु ही
बे वजह !
कभी घरके एकांत में
कभी उत्सव के माहोल में
क्यों बेबस होता है मन ?
क्यों जी हो जाता है विकल ?
यु ही
बे वजह !
सीने की चुभन;मन की उदासी ,
उड़ा देती है ,मस्ती क रंग !
मिटा देती है "बेला"की सुगंध !
यु ही
बे वजह ?!!
बेला
१०-९-२००८ /११.४५ ए.एम्.
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