किस विध गाऊँ तेरी भलाई ?
शबद सूझे ना कोई गुँ साईं :
हरि,हरि,हरि सुमिरन करपाई,
और दूजी ना भगति मोहे आई !
अपने आपको तेरे चरन धराई,
"बेला"दूजी रीत ना जाने कोई|
बेला २५ ९ १९८४
१.४०.ए.एम्.
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