कैसे मै गाऊँ गोविंदरा गुनिया ?
आज सजा दी मेरे मनकी ये दुनिया |
तैने अजब दया दिखला दी,
लाल मिला मेरे मन बसिया ;
बाज उठी मोरे मनकी मुरलिया |
आँख से आँसु बह नही पाए,
धडकन दील की रुक नही पावे;
झूम उठी मोरे मन की बगिया |
मन बगिया में फूल खिले है ,
नैनोंमें मोती झूल रहे है ;
गुन गुन गुन गूंजे भावरिया;
झूम उठी "बेला"की कलियाँ |
बेला २५ -९-१९८४
१२.०० रात
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