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ब्रह्म दर्शन



-----कान्हा  ! मोहे तुम काहे भुलायो ? ! 
-----अब समज गई मैं ,काहे मोको छाँड़यो ! 

-----मिलने पर स्मरण कैसे करूँ ? 
-----मन रहत   तुझ में ही लपटायो ! 
-----बिरहां  ही से ,छीन  छीन  लगत है ;
-----ध्यान तुम  से , ये तू ने समझायो ! 

-----तुज में मेरो चित्त चिपकायो ,
-----दे के दान ,ज्ञान-चक्षु को ;
-----शरणागत से ,ब्रह्म-स्वरूप ,
-----दर्शन कर ,धन्य धन्य मैं  भयो ! ! ! 
                                    ७\२\ २०२०  
                                        २..पि.ए

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