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गोपी वेदना



-----श्याम सुंदर तन ,मोहक मुखड़ा ,                                         
-----गले बैजंती ,सर मोर मुकुटा ;
-----बंसी वादन में चित्त हारा ,
-----नचवो गोपियन लेइ  थैकारा  ! 

-----भयो गोपी जीव, गर्व से भारा  ,
-----तुरत हुए हरि , अन्तर्ध्याना ! 
-----बावरी गोपी ,बहवे अंसुवन धारा ,
-----नाथ ! करो ना अस बे-सहारा | 

-----हम तो आई छोड़ जग सारा ,
-----अब जिए ना  बिन तुमरे  सहारा ;
-----प्राण त्याग दीन्यो है , मिले ना दीनानाथा ,
-----क्षमा करो ,चरन  पड़ी तिहारा ! 

-----सुन दीनवाणी और प्राण त्यागा ,
-----हरि  उठावत , ह्रिदसु  लगावा | 
                                 ६\२\२०२० 
                                    ८..ए। एम् 

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