-----बूंद बूंद से बना है झरना ,झरनों से बनी सरिता ,
-----सरिता संगम से नद बना ,और जा , सागर से मिला |
-----सांस सांस से नाम निकला ,बन गया जप का धागा ,
-----उस धागे में जाप पिरोया ,बन गई बड़ी जपमाला |
-----जपमाला संग ध्यान पिरोया ,बन गई मेरी धारणा ,
-----धारणा की धधक से बना ,महल शीतल ,समाधि का |
-----आनंद सागर में मिलन हुआ ,"बेला" ने पूर्ण पुरुषोत्तम पाया | !
२०\२\२०२०
३. ५.इ.एम्.
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