-----आज फिर तन्हाई , नागिन सी डसने आई है ,
-----विकल मोरा जियरा , बेबस , जान पे बन आई है ;
-----वो ही अनजान जुस्तजु , वो ही अनजान प्यास तड़पाती है ,
-----ना चहेरा दीखता है , ना पहचान कोई आती है
-----बस , तड़पन दिल में ,एक टीस ले आती है ,
-----"बेला" को ध्वस्त कर के , चुभन छोड़ जाती है |
१८\३\२०२०
११.. पि.एम्।
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