में मनमे उमड़ रहा है तुफान !
बिजली कडकी ,मेघ गरजा ,
हवा सनसना रही है ,
कैसा मचल रहा है तुफान !
नयना बरसे ,जियरा तरसे ,
पल छीन कल ना पावे ,
विकल मनवा ,चैन पाए ना ;
सब बाँध तोड़ रहा तुफान !
"बेला"झुक झुक के डार फेलाए ,
फूल डगर पर बिखराए ,
राह तके , कब रुके तुफान ,
और आये मोरे घनश्याम |
बेला
४-५ २०१२ /९.३०.पी.एम्.
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