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मुरलिया



मुरलिया न छेड़ श्याम ! मोरी नींद चुराई लेती !
काहे करे मो पे जुलम, तोहे लाज क्यों न आती !? 
जमुना जल भरना बिसर हु जाती ,
गैया रहत चार बिन, मोरे घर-काज सब भूल जाती !

मुरलिया ना छेड़  श्याम, ओ  हरजाई !
"बेला"बिनती कर  कर  हारी कान्हाई ! ! 
                                        ??

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