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एक समर्पण




प्रभु ! तूने दिया है , ये मखमली परिवार ,
धन धन भाग हे सुंदर श्याम ! हमार ! 
जा के संग जीवन में है हरपल त्यौहार ! 
कर  कृपा, मिलते रहे , सदा ये प्यार-दुलार ;
गुनगुनाते रहे यूँही ,हर पल हर साल ,
चरण पे तेरे लाई ,बिनती भरा "बेला"का हार ! 

साप्ताहिक "गीतमाला" के गीतों के ध्वनि से गूँजनेवाली सभा को समर्पित। 

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