-----कहीं न कहीं तुम्हारी याद अब भी बसी है दिल में ,
-----मानती थी मैं तो , ज़माना बीत गया , अब तो भुला चुकी हूँ दिल से ;
-----कमबख़्त दिमागी पिटारी का क्या करें ?
-----निकालना है जो दिल से , संजो के रखा है दिल में !
-----वो समंदरी हवा के झोंके ,वो दरिया की लहरें ,
-----वो धीमी धीमी गुफ्तगु ,वो गुनगुनाते हुए गाने ;
-----हाथों में हाथ,और छलकाता प्यार आँखों में !
-----दिलक़श नज़ारा आ गया , फिर सामने दिल के !
-----कब छूटा ,कैसे छूटा ,साथ हमारा ,न जाने दिल से !
-----अक्रूर क्यों आया , कहाँ से क्रूर बनके ;
-----वृन्दावन मेरे मन का उजड़ गया उस पल से ,
-----बंध हुई कूक कोकिला की ,अलिगण हुए दूर कलि से |
-----आज न जाने उभरी है याद ,सूखे दिल से ,
-----गए हो उस देस , मुमकिन नहीं ,वापस आना वहीं से ;
-----फिर भी बैठी हूँ ,लिये आस उजड़े दिल में ;
-----सजाई है थाली ,आरती की , संग फूल "बेला" के !
तारीख ?
टाइम ?
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