-----दुरी का एहसास तब होता है ,
-----जब अपनों से दूर होते है ;
-----मुद्दतें हुई है,उन से दूर रहते ,
-----मिलन की प्यास में तरसते रहते है |
-----कितनी ज़िल्ल्त, कितने तूफ़ान सहे जाते है ,
-----फिर भी उसी ज़िद्द से मिलन को तड़पते है ;
-----बस अब तेरी किरपा के काइल होते जाते है ,
-----हम तो तुझ में समाने तैयार बैठे है |
-----आप कब हाथ अपना बढ़ाते है ?
२३\१०\२०१९
९. ३० ए। ऍम
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