-----न जाने ये दिल में उठा है कैसा तूफ़ान ,
-----कुछ समझ न पाऊँ , बस उठे उफान !
-----हे श्याम ! ये जादू तेरी नज़रों का है ?
-----या दिल के तारों का उमड़ता गान ? !
-----समझ न पाऊँ ,हाले दिल सुनाऊँ किसको ?
-----मचलता हिरदय है ,पर मूक है ज़बान !
-----ये कैसी लीला तेरी ,जिस में मई रममाण ? !
-----ना रहा दिन-रात और कर्म का ध्यान !
-----बस , यूँ ही बुझी बुझी सी बैठी "बेला",
-----रटती रही , सिसकती रही , तू मान या न मान \ !
१९\८\२०१९
८. पि.एम्.
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