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गुरु वन्दना

   


वन्दन  हो गुरु चरणों में तव ,
जिसकी छाँवमे खिला ये जीवन ;
तिमिर भरा जीवन था  गुरुवर ,
ज्ञान-प्रकाश  दिया तेजोमय | ....वन्दन 

भये वीतरागी,हुए अ संग ,
षड-रिपुओं का हुआ है खंडन ;
धारा प्रेम की बहाई पावन | वन्दन। .. 

राग रागिणी  सिखाई सुर संग ,
ताल सिखये, मधुर तरंग  संग;
तोम तनन  तोम तदारे  तनननन | 

योग साधना प्राणायम संग,
आसन विविध ,बनाये दृढ  ये अंग,
ध्यान-धारणा  दिए परमानद | वन्दन। ..... 

आरती करूं नमन सह गुरुजन ,
धुप-दीप और "बेला" के फूल संग;
भाल  लगा दो, आशीष का चन्दन | वन्दन.... 
                                          २२ जून २०२३ 
                                                १२. ४५ दो पहर 

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