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कैसे ?









मेरे कान्हा ! तुम्हें अब रिझाऊ  कैसे ?
कोई रास्ता नहीं ,तेरे पास आऊं कैसे ?

बन गई चाल मेरी,जग-हंसी का कारन ,
उन्हें मेरे दिल के ये , हालात  समझाऊँ कैसे ?

फिरती हूँ मैं  लिये ,टुटा फूटा ये मन,
चહેરે  से मैं वो निशाँ को मिटाऊं कैसे ?

दिल में लगी ये आग ,बुझाऊँ  कैसे ?
कृपा सिंधु ,तेरे बिंदु पाऊं तो पाऊं कैसे ?

क्या ख़ता  हुई है , जो बदली है रुख़ ,
"बेला" की महक ,तुज तक पहुंचाऊं कैसे?
                                   २ / मई /२०२३ 
                                        ७. ए  एम् 

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