फूल की खुश्बू आखिर अत्तर में मिल जाती है ,
सुर ताल की सरसर आखिर वायु में मिल जाती है ;
स्वर की कलकल और अत्तर की खुश्बू हवा में सरसराती है ,
और
हवा कभी रूकती नहीं ,थमती नहीं ,
हमेशा लहराती बहती जाती है |
६ फेब्रुअरी २०२२
९. ३० ए ऍम
No comments:
Post a Comment