-----छेड़ो ना ,कान्हाइ ,मोहे छेड़ो ना
----- राह चलत मोरी चुनरी भिगोई ,
-----लाज तोहे ना आई ,नटवर विहारी !
-----पनिया भरन अब जाऊँ कैसे ?
-----सखी साहेली करत ठीठोरी ,
----छुपूँ कहाँ ?घाट , ये तो, मैया री !
-----आवत जन सब देखत लीला ,
-----घर पे जाके सुनाये ,
-----हाय दैया ! अब "बेला"की आड़ में छुपाई !
८\५\२०१८ ९. ५.ए। एम
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