कान्हा! .. बिलख बिलख बीती रतियाँ (२)
चैन -न आवे.... जिया घभराये
कब घड़ी पाए मिलनवा--- कान्हा। ....
नैना-- बरसे , मनवा तरसे (२)
डार रही बिजुरिया, कब हटे -
गहन बदरिया, कांपे बेला बगिया -- कान्हा...
१७/३/२०२४
५. ए एम्
कान्हा--- बरसन लागि मोरी अखियां (२)
तुम बिन चैन न आवे पिया ,तड़प रही दिन-रैना। .....बरसन लागि
बिरहा सतावे-- मन तडपावे ,उन बिन लागे न जिया
कोई भेज संदेसवा..बरसन लागि मोरी अखियां
१७/३/२०२४
७. ए एम्
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