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परदा



श्याम ! तेरे मेरे बिच का ये मख़मली  परदा ! 
कितने साल बीत गये , ना हटा ये परदा ! 
कितनी मिन्नतें , आरझु की , हटाने ये परदा ! 
अब तो कुछ   जलवा दिखादे , हटाने को ये परदा !

तेरी हिक़मत  हो तो ,क्या चीज़ है ,ये परदा ! 
मैं  तो झुक गई ,हार गई ,कशिश बना है ये परदा !
काँटे  की तरह चुभता है ,ये मुलायम सा परदा ! 
मेरी नज़रों  का नूर लूट लेता  है ये परदा  ! 

आप के पास किसी को आने नहीं देता ये   परदा ! 
आप खुद तो आने से रहे ,हटा के ये परदा ! 
श्याम ! तेरी"बेला" की बेताबी बढ़ा रहा है ये परदा !
अब तो रेहमत कर उस पे, हटा के ये परदा ! 
                                              २\१२\२०१९ 
                                                 ११। ३० ए। एम् 

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