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उदासी



---आज फिर उदासी छाई है ,
---आज फिर दिल में तन्हाई है ;
---जिंदगी! तू ने कैसी ये दवाई पिलाई है ,
---कैसे हालात में मुझे फसाई है ? !

---लौ दिल की बुझी बुझी सी पाई है ,
---दुनिया से मानो ,ली रुसवाई है ;
---क्या खोया ,किस दर्द ने रुलाई है ?
---सोच, आँखे भर आई है
---हर मौसम में दुनिया बसाई है ,
---हर रंग में उसे रंगवाई है।

---खिली खिली जीवन बगिया बनाई है ,
---कोई कलि  खिली ,तो कोई मुरझाई है ;
---"बेला" को देखो ,वो हर हाल में लहराई है ,
---तू क्यों , क्या सोच , अब हिजराई है ? !
                                                   २८ मार्च २०१८
                                                               २.. पि.एम्. 

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