मेरी आँखे भई यमुना ,मेरे मन में एक ही नाम ;
मेरे अंग अंग में व्रज बसा है ,मेरे रोम रोम में श्याम !
घूमती रही गोकुल में ,घन बदला दिल छाया ;
साँस साँस बनी है मुरली ,सुनो हे मनमोहन श्याम !
श्याम श्याम रटना हों रही ,मोरपिच्छ सपनों में आया ;
कुंजवन के झूले पे देखा ,राधे संग झूल रहें हैं श्याम !
मैं तितली बन ,बैठी ,"बेला"की डाली पे झूली ;
मेरे पंख की हर ताली ,बजावे नाम ,श्याम श्याम ! !
बेला \२६ \६ \ २०१५
८.३०.ए.एम्.
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