भोर भई है अब तो आजा ,
कब से रही पुकार
निस दिन नैना बरस रहें है
जब से गया सिधार |
माखन चोर वो काला कन्हैया ,
मटुकी दियो बिसार
ग्वाल बाल सब भूल गयो रे,
भुला जमुना घाट
रास रचा था ,नाग दमा था ,
असुरन कियो उद्धार ,
कब देखूंगी प्यारे मोहन
जियरा करे पुकार |
लाला तैंने बहोत नचाया
जनम की प्यास बूझा ,
"बेला" बोले रोते रोते
कबर मिलोगे श्याम ?
बेला ३०-४-१९८५ ,
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