Pages

पुकार
















  ठगनी तेरी मया प्रभुजी 
   फंस के हुई बे हाल 
   अब तो नाथ तेरो ही सहारो 
   तू ही लगावे पार |

   जनम जनम की बंधी ये डोरी 
   करम की पड़ी है गाँठ ,
   कैसे तोडू इस जंजीर को 
   तू ही बता दे पाथ ||

   बहेती जाऊ भवसागर में 
   काम-वासना के मगर खींचे  पाँव 
   गजेन्द्र के रखवाले 
   मुझे भी दे आधार .|

   भक्ति तेरी मुक्ति देगी 
   जानू इतना सार .
   जाने कब सुनेगा मेरे अंतर की पुकार ?!
                                      बेला\३\९\२०१३\८.३०.ए.म.

No comments:

Post a Comment