एक हिन्दि कविता.
हे सुन्दर,मोहन,श्याम!
तू है मोहन, तेरा एक यही है काम.
गोपी-राधा सब है तेरे ध्यानमे गुमनाम.
छोड़ो व्रज्बसिओको ,तुने तो मोहा देव-काम!
कामदेव तो खुद मोहन है,न छोड़ा उसका धाम!
नाम मिला, 'मदनमोहन ', भले रहा तू श्याम.
काले काले फिरभी सुन्दर,मिल गया "श्यासुन्दर'"नाम.!
बेला /२-१-२०१२ /८.२० एम
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