कहाँ हो..... कहाँ हो.... ओ माता ! ?
माता ओ माता ! जो तू आज होती ,
हमें यूँ बिलख़ता अगर देखती, तेरा दिल टूट जाता माता ओ माता
दया से भरा है, तेरे दिल का दरिया
दुआ से भरे हैं , तेरे ये दो नयना ;
कृपा-हस्त धर दे नत सर पे हमारा -----माता ो माता
जगत्जननी - जो संहार हो रहा है ,
दैत्य के नृत्य की ये पराकाष्ठा है ;
खड्ग ले ले ,अब तेरा ही है सहारा -----माता ो माता
जपूं मैं तो हरदम ,तेरी नाम माला ,
रटूं , मांगू , तेरी दया का पियाला ;
धरूँ --"बेला" संग , धुप-नैवेद्य थाला -----माता ो माता
आओ आओ ओ माता आओ आओ
३०\४\२०२१
१२. नून
No comments:
Post a Comment