--------वृन्दावन में रास रचायो ,गोपियन संग म्हाल्यो ;
--------धन धन भई हर एक गोपी ,प्रीतम प्रेम पायो !
--------हर्षित,मुदित ,हुई राधिका,गर्वित बन इतरायो ;
--------कान्हा सोच के मन ही मन में ,जा कहीं और छुपायो |
--------बावरी बावरी ढूंढे राधिका ,कोई तो कान्हा दिखावो ;
--------मै भूली भटकी गर्वान्वित गोपी ,दिल समझ न पायो |
--------म्हारो कान्हा, सब को कान्हा ,बाट काहे बिसरायो !?
--------बिनती बार बार करी मोहन से ,अब ना और सतावो |
--------रिझ्यो कान्हा ,कहे ,सुन राधिके ,गरव न क्याँ य दिखाज्यो ;
--------अब राधा संग लहरी यमुना ,देख "बेला" भी लहेरायो | !
बेला-२३ जनवरी २०१७
९.००.ए.एम्. यु.एस. ए .
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