Pages

झूला



  सुर के हिडोले पे झूल रही राधिका ;
  और जल के हिलोरे पे डोले घनश्याम !
  जल के तरंग संग बाज रही बांसुरिया ,
  छेड़ के अनेरी इक तान !

  कुंज वन चाहेक उठा ,मधुबन महक उठा ,
  गोप गोपी झुलात रहें ,संग राधे-कहान----सूर के ......

  दादुर ,मोर , पपीहा रे बोले ,
  कोयल गाये म्दुरे साद ;
  आनंद आनंद आज भयो है 
  "बेला"भी झूम रही ,हों के गुलतान ! ! 
                          बेला-७\८\२०१४ 
                               ११.३०.पी.एम्.

No comments:

Post a Comment